22 दिसंबर होगा साल का सबसे छोटा दिन, जानें क्यों
वेब डेस्क। वैसे तो दिन और रात का होना एक सामान्य घटना है लेकिन आने वाले 22 दिसंबर का दिन खगोलीय दृष्टि से खास होगा। यह साल का सबसे छोटा दिन होगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि इस दिन मकर रेखा पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होगी। इसी के चलते इस दिन की अवधि कम होगी।
दिन जल्दी ढल जाएगा जबकि रात लंबी होगी। खगोल विज्ञान की भाषा में इसे विंटर सोल्टाइस अथवा दिसंबर दक्षिणायन कहा जाता है जो कि हर साल 21 या 22 दिसंबर को आता है। इस दिन के बाद से ही ठंड बढ़ जाती है। आइये जानते हैं यह क्या है और कैसे घटित होता है
क्यों होता है ऐसा
तकनीकी भाषा में समझें तो हमारी पृथ्वी नार्थ और साउथ दो पोल में विभाजित है। साल के अंत में 21 दिसंबर को सूर्य पृथ्वी के पास होता है और उसकी किरणें सीधे ही मकर रेखा पर होती हैं।
चूंकि सूर्य पृथ्वी के निकट होता है इसलिए इसकी उपस्थिति महज 8 घंटों की ही रहती है। जैसे ही शाम को सूर्य ढलता है तो वह रात सबसे लंबी रात होती है। यह 16 घंटे की रात होती है।
यह एक नियमित खगोल घटना है जो कि एक निश्चित समय पर स्वत: घटित होती है। इस दिन के बाद से ही जाड़ा शबाब पर चढ़ता है। सूर्य का दक्षिणायन होना इसकी प्रमुख वजह है।
उधर दक्षिणी गोलार्ध में होंगे लंबे दिन
इस समय सूर्य मकर रेखा के उपर है, जिसके चलते दक्षिणी गोलार्ध में अभी गर्मी का मौसम है। उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की किरणें सीधी न पड़ते हुए आड़ी पड़ने के चलते ही यहां ठंड का मौसम है।
यह है दिसंबर दक्षिणायन
समूचे विश्व में दक्षिणायन एक साथ होता है। उत्तरी गोलार्ध पर सूर्य का झुकाव 23.5 डिग्री होता है। इस कारण यह साल का सबसे छोटा दिन बन जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस घटना के बाद से ही जाड़े का भी आरंभ हो जाता है।
इस वर्ष 22 दिसंबर 2017 को दक्षिणायन की घटना गुरुवार को होगी। अनुमान के अनुसार यह दिन 10 घंटे, 19 मिनट और 10 सेकंड की अवधि का होगा।
कहां कितनी अवधि का दिन
भारत की राजधानी दिल्ली में 10 घंटे, 19 मिनट का दिन होगा। चीन की राजधानी बीजिंग में दिन की अवधि 9 घंटा, 20 मिनट होगी। न्यूयार्क में 9 घंटा, 15 मिनट , टोक्यो में 9 घंटा, 44 मिनट और लॉस एंजेलिस में 9 घंटे, 53 मिनट का दिन होगा।
क्या कहती है ज्योतिष गणना
ज्योतिष गणना के मुताबित वर्ष में दो बार ऐसा समय आता है जब सूर्य की स्थिति में परिवर्तन आता है। इन्हें उत्तरायण और दक्षिणायन कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य, मकर, कुंभ, मीन, मिथुन, वृषभ और मेष राशि में भ्रमणशील रहता है। इसके पश्चात 21 जून से सूर्य दक्षिण गोलार्ध में विचरण करता है जिनमें वृश्चिक, धनु, सिंह, कन्या, तुलना, कर्क आदि राशियां होती हैं।
सोल्टाइस का ये है अर्थ
सोल्टाइस शब्द की उत्पत्ति मूल रूप से लैटिन भाषा के शब्द सोलिस्ततियम से हुई है जिसका अभिप्राय होता है सूर्य का सीधा होना। साल में दो बार सूर्य लंबवत होता है।
ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन संक्रांति
यह घटना साल में मुख्य रूप से दो बार होती है, इसलिए इसे समर सोल्टाइस और विंटर सोल्टाइस कहा जाता है। गर्मी के दिनों में इसे ग्रीष्मकालीन संक्रांति भी कहते हैं। यह 20 से 22 जून के बीच कभी भी हो सकता है। इसी तरह सर्दी के दिनों में यह 20 से 23 दिसंबर के बीच कभी भी घट सकता है।
खास बातें
- 21, 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन रहता है। इसकी अवधि लगभग 8 घंटे की होती है।
- इस दिन के बाद से ही सर्दी बढ़ती है।
- इसी क्रम में 21 मार्च को दिन व रात समान अवधि के हो जाते हैं।
- 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन कहा जाता है।
- -21 सितंबर को फिर से दिन व रात की अवधि एक समान हो जाती है। यह साल में दो बार होने वाली घटना
कुछ समुदाय पारंपरिक रूप से इसका स्वागत करते हैं और कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं। इस खगोलीय घटना के बाद ही पहाड़ी क्षेत्रों में हिमपात होने व ठंड चमकने की संभावना बढ़ जाती है।विंटर सोल्टाइस के बाद ही क्रिसमस का त्योहार आता है, इसलिए इसका धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी है। आस्ट्रेलिया में लोग नदी में स्नान कर इस दिन को मनाते हैं।
दुनिया में इन देशों में इस समय गर्मी
22 दिसंबर को सूर्य की किरणें मकर रेखा पर पड़ेंगी जिससे नार्थ पोल में तो सर्दी शुरू होगी लेकिन साउथ पोल में गर्मी पड़ेगी। इसका कारण ये है कि नार्थ पोल में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ेंगी जबकि साउथ में यह सीधी पड़ेंगी जिससे कि गरमी होगी। दविश्व में आस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, साउथ अफ्रीका, अर्जेंटाइना आदि देशों में गर्मी रहेगी। यां समर सोल्टाइस देखने को मिलेगा, जिसके चलते वहां सबसे लंबा दिन देखा जाएगा।
हर जगह के मान से होता है अलग समय
विंटर सोल्टाइस का समय कहीं भी एक समान नहीं रहता है। स्थानों की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से यहां के दिन व रात की लंबाई का समय भी बदलता जाता है। भारत में ही कर्क रेखा और मकर रेखा की स्थिति पूरे देश में एक जैसी नहीं है इसलिए सभी शहरों में दिन व रात का समय अलग-अलग दर्ज होता है।
मध्यप्रदेश में 13.30 घंटे की रात, 10.32 घंटे का दिन
मध्यप्रदेश में इस बार साढ़े तेरह घंटे की रात होगी जबकि दिन केवल 10 घंटे 32 मिनट का ही होगा। मध्यप्रदेश में 14 जिलों से कर्क रेखा गुज़रती है। इसलिए यहां दिन व रात की अवधि लगभग समान होगी। इन 14 जिलों में रतलाम, उज्जैन, आगर, राजगढ़, सीहोर, भोपाल, विदिशा, रायसेन, सागर, दमोह, जबलपुर, कटनी, उमरिया, शहडोल शामिल हैं।
विंटर सोल्टाइस एक खगोलीय घटना है जो हर साल होती है। इसे यहां वेधशाला में दिखाए जाने की पूरी व्यवस्था रहती है। स्कूली बच्चों व इच्छुक लोगों को वेधशाला में लगे शंकु यंत्र के माध्यम से मकर रेखा की छाया दिखाई जाती है जो कि पूरे दिन बनी रहती है।