सोमवती अमावस्या पर बनेंगे दुर्लभ संयोग, आप भी बदल सकते हैं किस्मत

वेब डेस्क। अमावस्या तिथि खास फलदाई है। इस रोज किए गए दान, पूजा-पाठ और उपाय करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। 18 दिसंबर सोमवार को पौष माह की अमावस्या है।
शास्त्रों के अनुसार सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि सोमवार और अमावस्या का योग अत्यंत दुर्लभ है।
सोमवती अमावस्या वर्ष में लगभग एक ही बार पड़ती है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ अर्थात पीपल प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गई है। पौराणिक मतानुसार पीपल के पेड़़ में सभी देवताओं का वास होता है। अतः पीपल के पेड़ को ब्रह्म कहकर संबोधित किया जाता है। ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान श्री विष्णु, तने में शिव जी तथा अग्रभाग में ब्रह्मा जी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है। सोमवार और सोमवती अमावस्या पूर्णरूपेण भगवान शिव को समर्पित होती है।
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मेष: पीपल के पेड़ की 9 परिक्रमा करें।
वृष: पानी में तिल मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें।
मिथुन: भगवान विष्णु के मंदिर में नीले फूल चढ़ाएं।
कर्क: शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करें।
सिंह: माता गौरी के चित्र पर सिंदूर चढ़ाएं।
कन्या: पीपल की 108 परिक्रमा करें।
तुला: शालीग्राम जी पर तुलसी की मंजरी चढ़ाएं।
वृश्चिक: शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करें।
धनु: भगवान विष्णु के मंदिर में लाल फूल चढ़ाएं।
मकर: गणेश जी पर दही-चावल चढ़ाएं।
कुंभ: भगवान शंकर पर चावल की खीर चढ़ाएं।
मीन: गाय को गुड़ खिलाएं।