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आदिवासी की मौत पर दुःख कम राजनीति ज्यादा !

रन्नौद(शिवपुरी) कथित तौर पर CM की सभा में आदिवासी की मौत पर कांग्रेस मामले को तूल देने में जुटी दिख रही है। आदिवासी की मौत पर राजनीति फिर गरमाई है, जिसमे मौत पर दुख कम औऱ राजनीति रोटियां सिंकती नजर आ रही है। कुल मिलाकर कोलारस उपचुनाव जीतने के लिए एक बार फिर गंदी राजनीति शबाब पर है।

दरअसल शिवपुरी जिले के रन्नौद में गुरुवार को आयोजित हुए अंत्योदय मेले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आगमन से पहले पोहरी के रहने वाले एक आदिवासी तुलसी उम्र 50 की हार्टअटैक मौत हो गई।

सभा से पहले तुलसी आदिवासी पोहरी से रन्नौद में आयोजित अंत्योदय मेले में बतौर हितग्राही आया था लेकिन जहां सभा में अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई। सभा में तबीयत खराब होने के बाद तुलसी आदिवासी को कोलारस के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया लेकिन जहां पर भी हालत में सुधार ना होने पर उसे शिवपुरी रेफर किया गया।

इसी बीच रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एमएस सागर ने बताया कि उन्हें जैसे ही हितग्राही तुलसी आदिवासी की अचानक बीमार होने की खबर मिली तो उन्होंने अपनी मेडिकल टीम के साथ उसे कोलारस के स्वास्थ्य केंद्र रैफर करवाया। सीएमएचओ ने बताया कि तुलसी आदिवासी को बचाने की पूरी कोशिश की गई लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने एक प्रेस नोट जारी कर इस मामले को तूल देने की कोशिश की है। कांग्रेस के प्रेस नोट में बताया गया है कि तुलसी आदिवासी की मौत पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संवेदनहीन बने रहे और आदिवासी की मौत के बाद भी सभा चलती रही । कुल मिलाकर अंत्योदय मेले में एक आदिवासी की मौत पर राजनीति गरमा गई है और कांग्रेस इस मौत पर अपनी राजनितिक रोटी सेकती दिखाई दे रही है।

यहाँ बतादे की इससे पूर्व भी विधायक रहे रामसिंह दादा की मौत पर भी कांग्रेस के नेताओ द्बारा ये बयान दिया गया था कि दादा की मौत की जिम्मेदार प्रदेश सरकार है।

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