
मुंबई। लंबे ऊहापोह के बाद आखिरकार मंगलवार को तय हो गया कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और शिवसेना की दोस्ती बरकरार रहेगी। साथ रहकर और अलग-अलग लड़कर भी बेहतर प्रदर्शन करने वाली भाजपा को लोकसभा चुनाव में बड़े भाई का दर्जा हासिल होगा। महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से 25 सीटों पर भाजपा और 23 पर शिवसेना लड़ेगी। जबकि नवंबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां बराबर सीटों पर लड़ेंगी।
पिछले चार साढ़े चार वर्षों से शिवसेना भाजपा से रिश्ते तोड़ने की बात भले ही करती रही हो, लेकिन दोनों दलों के अंदर यह स्पष्ट था कि महागठबंधन से लड़ना है तो साझा ही उतरना होगा। मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के घर गए। लगभग 50 मिनट की चर्चा के बाद दोनों ने साथ उतरने का एलान कर दिया।
अमित शाह और उद्धव ठाकरे ने पिछले सारे मनमुटाव भुलाकर आगे बढ़ने का वादा किया। अमित शाह ने कहा कि यह दोनों दलों के करोड़ों समर्थकों की इच्छा थी और वह पूरी हुई। दरअसल, तुलनात्मक रूप से पिछड़ती रही शिवसेना ज्यादा सीटें चाहती थी, लेकिन लोकसभा चुनावों में उसे थोड़ा नीचे संतुष्ट कर भाजपा ने अपनी छवि बचा ली।
बताते हैं कि भाजपा महाराष्ट्र की जिन 25 सीटों पर लड़ेगी उसमें आरपीआइ जैसे छोटे अहम दलों को भी शामिल किया जा सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ 45 में से 42 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें से भाजपा ने 23 और शिवसेना ने 18 पर विजय प्राप्त की थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में दोनों दल इस बार बराबर सीटों पर लड़ेंगे।
हालांकि शिवसेना विधानसभा में बड़े भाई की भूमिका में लौटना चाहती थी। ऐसे में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में वही दल बाजी मारेगा जो ज्यादा सीटें लाएगा। मालूम हो कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पिछली बार भाजपा शिवसेना से बराबरी की सीटें मांग रही थी, लेकिन यह शिवसेना को मंजूर नहीं था। लिहाजा दोनों दल अलग-अलग लड़े थे। भाजपा ने बड़ी जीत पाई थी, लेकिन सरकार मिलकर ही बनानी पड़ी। सरकार में रहने के बावजूद नगर निगम चुनाव में भी दोनों अलग-अलग गए, लेकिन गठन साथ मिलकर ही करना पड़ा था।
शिवसेना से भाजपा का गठबंधन राजनीति से परे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि शिवसेना के साथ भाजपा का गठबंधन राजनीति से परे है और भारत को मजबूत बनाने की इच्छा से जुड़ा है। दोनों दलों का साथ लड़ने का फैसला राजग को और मजबूत बनाएगा। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, ‘मुझे विश्वास है कि हमारा गठबंधन महाराष्ट्र का पहला और अकेला विकल्प बनने जा रहा है।
अटल बिहारी वाजपेयी और बाल ठाकरे के विजन से प्रेरित भाजपा-शिवसेना गठबंधन महाराष्ट्र की भलाई के लिए काम करता रहेगा। साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य में फिर से विकास चाहने वाले, ईमानदार और भारतीय संस्कृति पर गर्व करने वाले प्रतिनिधि चुने जाएं।’



