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कमलनाथ कैबिनेट में 22 नाम तय, मिशन 2019 के लिए जाति और क्षेत्रीय संतुलन को अहमियत


भोपाल। मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों का कहना है मंत्रियो के नामों को लेकर कोई पेंच नहीं फंसा है. इसकी वजह ये है कि पहली बार के विधायकों को मंत्री नहीं बनाने का फैसला अहम रहा. इसके बा़द सीनियर विधायकों पर सहमति बनीं


क्रिसमस के दिन शपथ ले रही कमलनाथ कैबिनेट के नाम तय हो गए हैं. करीब 22 मंत्रियों का मंत्रिमंडल पहले दौर में बनेगा. उसमें जहां कुछ पूर्व मंत्रियों को जगह दी जा रही है वहीं दो बार के विधायक भी मंत्री बनाए जा रहे हैं. पार्टी हाईकमान के साथ हुई चर्चा के बाद ये तय हो गया है कि 2019 के चुनाव को देखते हुए सारे समीकरण बैठाए जा रहे हैं. जातिगत आधार के साथ ही क्षेत्रीय संतुलन का भी ध्यान रखा जा रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ, स्टार कैंपेनर ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह समर्थकों को पूरे संतुलन के साथ जगह दी जा रही है.

डा. साधौ स्पीकर
मालवा- निमाड, ग्वालियर चंबल, महाकौशल, विंध्य के क्षेत्रीय गणित को देखते हुए मंत्रियों के नाम तय हो गए हैं. कांग्रेस सूत्रों से जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक महेश्वर से विधायक डा. विजयलक्ष्मी साधौ को स्पीकर बनाया जा सकता है. साधौ एससी वर्ग से है वहीं दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में दो बार मंत्री रही हैं. महिला कोटे के तहत भी डा. साधौ की दावेदारी को पुख्ता माना जा रहा है. वो दिग्विज सिंह समर्थक हैं.

अल्पसंख्यक कोटा

सिंह के कोटे से ही भोपाल से पी सी शर्मा, आरिफ अकील, इंदौर से जीतू पटवारी मंत्री बनने की लिस्ट में बताए जा रहे हैं. इंदौर से सिंधिया गुट से तुलसी सिलावट का नाम मंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे है. एससी कोटे से सिलावट पहले भी संसदीय सचिव रह चुके हैं.

ग्वालियर चंबल से
वरिष्ठ नेताओं में चंबल रीजन से डा. गोविंद सिंह, पिछोर से के पी सिंह के नाम मंत्री पद के लिए है. सिंह समर्थक ये दोनों नेता पूर्व में भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. राघौगढ़ से दो बार के विधायक दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धनसिंह का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है.

मालवा- निमाड़ से
कमलनाथ समर्थक एवं पूर्व में दिग्विजय सिंह कार्यकाल में भी मंत्री रहे सज्जन वर्मा, बाला बच्चन, नर्मदा प्रजापति, के मंत्री बनने की चर्चा है. मालवा- निमाड़ और महाकौशल का क्षेत्रीय संतुलन इससे साधने की कोशिश है.

जातिगत समीकरण
सिंधिया खेमे से प्रद्युमनसिंह ग्वालियर से, डबरा से इमरती देवी को मंत्री बनाने की चर्चा है. भाजपा ने यहां से दो कद्दावर मंत्री हमेशा दिए है. नरेंद्र तोमर, नरोत्तम मिश्रा. एट्रोसिटी एक्ट का सबसे ज्यादा असर यहां देखा गया है. इसे ध्यान में रखकर जातिगत समीकरणों को साधते हुए सिंह और इमरती देवी के मंत्री बनने की संभावना देखी जा रही है.

महाकौशल -विंध्य से
महाकौशल और विंध्य से बिसाहुलाल सिंह अनूपपुर से, विक्रमसिंह नाती राजा राजनगर से, लखन घनघोरिया और तरुन भानोट जबलपुर से,प्रदीप जायसवाल वारासिवनी से निर्दलीय जो पूर्व कांग्रेसी है उन्हें भी मंत्री बनाने की तैयारी है. सीनियरिटी क्षेत्रीय संतुलन को देखते हुए इनके नाम आगे बताए जा रहे हैं.

दो बार के विधायकों का फॉर्मूला
मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों का कहना है मंत्रियो के नामों को लेकर कोई पेंच नहीं फंसा है. इसकी वजह ये है कि पहली बार के विधायकों को मंत्री नहीं बनाने का फैसला अहम रहा. इसके बा़द सीनियर विधायकों पर सहमति बनी. 2019 के चुनाव को देखते हुए सिर्फ 20 से 25 सदस्यों का मंत्रिमंडल रखा जाएगा.

इसके साथ ही कमलनाथ, सिंधिया, दिग्विजय सिंह समर्थकों के नाम तय हो गए हैं. चर्चा है कि सिंह बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों को उचित प्रतिनिधित्व देने की बात हाईकमान के सामने रख चुके थे. बहुमत से दो सीट दूर कांग्रेस ने इसमें उस संतुलन को साध लिया है. खास बात ये है कि मंत्रिमंडल शपथ लेगा, लेकिन कमलनाथ अभी स्वयं अभी विधायक नहीं हैं.

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