थाईलैंड सरकार ने भारत को कहा शुक्रिया, VIDEO जानिए बच्चों का हाल

चियांग राई। थाइलैंड के थाम लुआंग गुफा में फंसे 12 बच्चों और फुटबाल टीम के कोच के सुरक्षित निकाले जाने में भारत से मदद पर थाइलैंड सरकार ने भारत सरकार और वहां के लोगों को धन्यवाद दिया है। साथ ही बैंकाक में भारतीय दूतावास द्वारा मामले की गंभीरता को देखते गुफा से पानी निकालने की तकनीक में मेसर्स किर्लोस्कर ब्रदर्स की थाइलैंड स्थित सहायक कंपनी से मदद की पेशकश पर भी धन्यवाद दिया है
#WATCH First video of the boys who were rescued from Tham Luang cave complex yesterday, wave & smile from their hospital beds (Source: Thai government) pic.twitter.com/dk9DMbb1i9
— ANI (@ANI) July 11, 2018
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लिखे पत्र में थाइलैंड के विदेश मंत्री डॉन प्रमुदविनाई ने कहा कि मुसीबत के समय में वहां के लोगों और निजी क्षेत्र ने जिस तरह से सहयोग किया है, वह दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रदर्शित करता है। पत्र में गुफा से निकाले गए 12 बच्चों और कोच एवं उनके परिजनों सहित थाई सरकार और वहां के नागरिकों की तरफ से भारत सरकार को धन्यवाद दिया गया है।
थाइलैंड के थाम लुआंग गुफा से मौत को मात देकर बच्चों के बाहर आने से पूरे देश में जश्न का माहौल है। हालांकि, वाइल्ड बोअर फुटबॉल टीम के बच्चे और उनके कोच दो सप्ताह से अधिक समय तक गुफा में रहने के चलते कमजोर हो गए हैं। इसके बावजूद उनकी मानसिक स्थिति बहुत अच्छी है और वे पूरी तरह तनावमुक्त हैं।
प्रधानमंत्री प्रयुथ चान ओचा ने कहा है कि बच्चों को पूरी तरह से ठीक होने के लिए थोड़ा समय दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों को भी धन्यवाद दिया है। राष्ट्र के नाम प्रसारित संदेश में उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयास, थाइलैंड की जनता और अन्य देशों के विशेषज्ञों की मदद और दुनियाभर के नैतिक समर्थन से यह अभियान सफल रहा।
सोशल मीडिया में “हूया” हैशटैग से पोस्ट किए जा रहे हैं और लोग बचाव अभियान में लगे गोताखोरों और अन्य विशेषज्ञों की तारीफ कर रहे हैं। इस अभियान को मीडिया में भी व्यापक कवरेज दिया गया है। “द नेशन” अखबार ने लिखा, “शाबाश, मिशन पूरा हुआ।” “बैंकॉक पोस्ट” ने हेडिंग लगाई- “सभी वाइल्ड बोअर सुरक्षित।”
एक मेडिकल टीम ने बुधवार को कहा कि 12 बच्चों और उनके कोच एकापोल चांगथ्वांग का वजन दो किलो तक घट गया है। समाचार एजेंसी एफे की रपट के अनुसार, चिकित्सकों ने कहा कि वजन में कमी होने से उनकी जिंदगी पर कोई खतरा नहीं है।
मेडिकल टीम के एक सदस्य ने प्रेस वार्ता में कहा कि पांच बच्चों में निमोनिया के लक्षण पाए गए हैं, क्योंकि इन्हें 18 दिनों तक कठिन परिस्थितियों और पानी के ठंडे तापमान का सामना करना पड़ा। लेकिन, किसी को गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है।
घटना पर हॉलीवुड फिल्म बनेगी-
बाढ़ग्रस्त गुफा से बच्चों को निकालने का साहसी अभियान जल्द ही बड़े पर्दे पर दिख सकता है। हॉलीवुड की फिल्म निर्माता कंपनी प्योर फ्लिक्स इंटरटेनमेंट केओर इंटरटेनमेंट के साथ मिलकर इस घटना पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रही है। इसके निर्माण में छह करोड़ डॉलर (लगभग चार सौ करोड़ रुपये) खर्च आने का अनुमान है।
हीरो बनकर उभरे कोच-
फुटबॉल टीम के कोच एकापोल चांगथ्वांग की पढ़ाई बौद्ध भिक्षु के रूप में हुई है और अब वे फुटबॉल टीम के कोच हैं। संकट के दौरान बच्चों को शांत और एकजुट रखने के लिए उनको हीरो बताया जा रहा है। गुफा में फंसे बच्चों के साथ वे एकमात्र वयस्क थे और उन्होंने मानसिक रूप से उन्हें कमजोर नहीं पड़ने दिया।
पता नहीं, करिश्मा है या क्या है-
बचाव कार्य में मुख्य भूमिका में रही थाइलैंड नेवी सील ने इस साहसिक कार्य का जश्न मंगलवार शाम एक पोस्ट के जरिये मनाया। इसमें उसने लिखा कि सभी 13 वाइल्ड बोअर अब गुफा से बाहर हैं। पोस्ट में कहा गया कि हमें नहीं पता कि यह कोई करिश्मा है, विज्ञान है या क्या है।
अभिभावकों से मिले बच्चे-
गुफा से बाहर निकालने के लिए चलाया गया राहत एवं बचाव कार्य मंगलवार को अंतिम बचे चार बच्चों को बाहर निकालने के साथ ही समाप्त हो गया। पहले समूह में निकाले गए चार बच्चों के परिजनों को कुछ एहतियाती उपायों के साथ मंगलवार को बच्चों से मिलने दिया गया था, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई है।
दूसरे समूह में गुफा से बाहर निकाले गए बच्चे बुधवार को अपने परिजनों से मिले। तीसरा समूह एक और दिन अस्पताल के अलग कमरे में रहेगा। बच्चों को कई विटामिन सप्लीमेंट के साथ चावल और चिकन का हल्का भोजन दिया जा रहा है। बच्चों और कोच का उत्साह बना हुआ है और अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ये लोग कम से कम सात दिन मेडिकल केंद्र में बिताएंगे।
गोताखोर के पिता का निधन-
थाइलैंड की गुफा में फंसे बच्चों को निकालने की जब खुशियां मनाई जा रही थीं, उसी समय ऑपरेशन से जुड़े एक गोताखोर रिचर्ड हैरिस को पिता के निधन का समाचार मिला। उनके पिता का मंगलवार रात एडिलेड में निधन हो गया। रिचर्ड हैरिस विश्वप्रसिद्ध चिकित्सक और गोताखोर हैं। बच्चों को निकालने के अभियान में विशेष रूप से उनकी सेवाएं ली गई थीं।
मंगलवार को बाढ़ग्रस्त गुफा से निकलने वाले वे आखिरी व्यक्ति थे। वे अपनी छुट्टियों को रद कर थाइलैंड में बच्चों को गुफा से निकालने वाले अंतरराष्ट्रीय दल से जुड़े रहे। लेकिन, एक तरफ जब वे जान पर खेलकर सफल अभियान के बाद लौट रहे थे, उनकी निजी जिंदगी में यह त्रासदी आ गई।
बच्चों का पहला वीडियो जारी-
गुफा में 17 दिनों तक फंसे रहने के बाद बचाए गए बच्चों का पहला वीडियो बुधवार को जारी किया गया। अस्पताल में भर्ती बच्चे खुश दिख रहे हैं। त्रासदी से जूझने के कारण बच्चे कमजोर हो गए हैं। अस्पताल में भर्ती बच्चों का वीडियो एक संवाददाता सम्मेलन में दिखाया गया। कुछ बच्चे सर्जिकल मास्क पहने हुए अपने बेड पर लेटे थे और कुछ बैठे थे। कैमरे के सामने उन्होंने शांति चिह्न बनाया। वीडियो में किसी बच्चे की आवाज नहीं सुनाई दी




