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छात्रों को सुविधाओं के आधार पर तय होगी कॉलेजों की फीस

भोपाल। प्रदेश के विभिन्न् विश्वविद्यालयों के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों की फीस अब विवि तय करेंगे। कॉलेज छात्रों को कौन-कौन सी सुविधाएं दे रहे हैं, उनकी आधारभूत संरचना कैसी है और स्तर कैसा है इसके आधार पर निजी कॉलेजों की फीस तय की जाएगी।

उच्च शिक्षा विभाग इसके लिए एक केंद्रीय समिति भी बनाएगा जिसे विश्वविद्यालय अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। बुधवार को उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों और विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों की बैठक में यह तय हुआ।

अब तक विश्वविद्यालय कालेजों को संबद्धता देते हैं और फीस उच्च शिक्षा विभाग की ओर से तय की जाती है। फीस निर्धारण में और पारदर्शिता लाने के लिए विश्वविद्यालयों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि विवि अपने क्षेत्र के कालेजों की फीस का निर्धारण बेहतर तरीके से कर सकें। इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर भी कमेटी बनाई जाएगी।

कालेजों की फीस तय होने के बाद इसे कार्यपरिषद की बैठक में भी रखा जाएगा और उच्च शिक्षा विभाग को भी रिपोर्ट दी जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कॉलेजों की फीस में एकरूपता संभव नहीं है लेकिन सामान्य पाठ्यक्रमों के लिए इसके स्लैब बनाए जा सकते हैं।

एक प्लेटफार्म पर आएंगे सभी विश्वविद्यालय 

बैठक में सभी विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफार्म पर लाने के विषय पर भी चर्चा हुई। यह तय हुआ कि सभी विश्वविद्यालयों को आनलाइन एक इनरफेस पर लाया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग इसे तैयार कराएगा। इसके तहत छात्र एक ही जगह से विभिन्न् विश्वविद्यालयों में संचालित हो रहे पाठ्यक्रम, फीस, फैकल्टी, छात्र संख्या आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। छात्रों को कॅरियर गाइडेंस संबंधी जानकारी भी दी जाएगी।

स्मार्ट फोन पर उपलब्ध कराएंगे जानकारी 

बैठक में उच्च शिक्षा विभाग आईटी सेल के अधिकारियों ने बताया कि छात्रों को दिए गए स्मार्ट फोन पर भी एप उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वे सभी विश्वविद्यालयों की जानकारी एक जगह से हासिल कर सकें।

रियल टाइम डाटा मिलेगा, कियोस्क जाने की जरूरत नहीं

बैठक में जानकारी दी गई कि विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफार्म पर लाने से रियल टाइम डाटा मिलेगा। छात्रों को कियोस्क जाने की जरूरत भी नहीं होगी। वे अपने मोबाइल से ही बैठे-बैठे विभिन्न् विश्वविद्यालयों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। विश्वविद्यालयों में होने वाले दाखिले भी इस प्रक्रिया में शामिल किए जा रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी गई कि रियल टाइम में यह जानकारी भी दी जा सकती है कि किस प्रोफेसर ने आज क्या पढ़ाया, कल वे क्या पढ़ाएंगे। इसके लिए प्रावधान करना होंगे और सभी को गंभीरता से प्रयास करना होंगे।

-प्रवेश प्लेटफार्म से दाखिले 

विश्वविद्यालयों और कालेजों में प्रवेश के लिए ई-प्रवेश प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जाएगा इसमें छात्र के आवेदन का वैरिफिकेशन, दस्तावेजों का सत्यापन आदि भी शामिल रहेगा। इसके माध्यम से विवि के यूटीडी में भी प्रवेश के लिए आवेदन किए जा सकेंगे।

जिन्हें स्कालरशिप उनकी बायोमेट्रिक अटेंडेंस

बैठक में यह तथ्य भी सामने आया कि अनेक ऐसे छात्र हैं जिन्हें स्कालरशिप मिलती है। लेकिन वे कालेज ही नहीं आते। वे कहीं नौकरी करते हैं। ओबीसी विभाग की स्कालरशिप में यह बात सामने आई है। इस कारण ऐसे छात्रों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस का प्रावधान किया जाएगा। यह देखा जाना भी जरूरी है कि कालेज में पढ़ने आते भी हैं या नहीं। या केवल स्कॉलरशिप ही लेते हैं।

लाभ को आधार न बनाया जाए

बैठक में बताया गया कि छात्रों को जो आनलाइन प्रवेश दिए जाते हैं उसका शुल्क लिया जाता है। इस पर अपर मुख्य सचिव बीआर नायडू ने कहा कि शुल्क को कम से कम किया जाए। इसमें किसी भी प्रकार से लाभ को आधार नहीं बनाया जाना चाहिए। इस मौके पर अपर संचालक जगदीशचंद्र जटिया ने कहा कई विश्वविद्यालयों ने हाईकोर्ट को कई मामलों में जवाब नहीं दिया है। जवाब दाखिल किया जाए।

सीएम हेल्पलाइन के लंबित मामलों का समाधान समय से करें। बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना विश्वविद्यालयों और अनुदान प्राप्त कालेजों में लागू की जाएगी। बैठक में बरकतउल्ला विवि के कुलसचिव डा. यूएन शुक्ला, बुंदेलखंड विवि के डा. संजय तिवारी, डा. बी भारती, डा.एके पांडे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

 

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