प्रदेश के विवि में नियुक्त होंगे लोकपाल

भोपाल। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में छात्रों सहित अन्य की शिकायत के निवारण के लिए लोकपाल नियुक्त किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। लोकपाल का काम छात्रों की बेहतरी के लिए पारदर्शिता से काम करना होगा। अब तक छात्र कुलपति या कुलसचिव को संबंधित मामले की शिकायत करते हैं। लेकिन, कई बार व्यस्तता के चलते वे ध्यान नहीं दे पाते।
लोकपाल का काम सीधे छात्रों की समस्याओं का निराकरण करना ही होगा। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश भी दे दिए हैं। संभवत: नए शिक्षा सत्र से यह व्यवस्था लागू हो जाए।
विभिन्न् समस्याओं से पीड़ित छात्र संस्थान की घोषित दाखिला नीति के अनुसरण में निर्धारित मेरिट के विस्र्द्ध दाखिला देने पर लोकपाल से शिकायत कर सकते हैं। इससे सबसे ज्यादा लाभ उन छात्रों को होगा जो विभिन्न् पाठ्यक्रमों में अच्छे अंक आने के बावजूद दाखिले से वंचित रह जाते हैं और कम अंक वाले छात्रों को नियम शिथिल कर दाखिला दे दिया जाता है। छात्र संस्थान द्वारा स्वीकृत दाखिला प्रक्रिया में अनियमितता होने जैसे अन्य मामलों में भी छात्र लोकपाल से शिकायत कर सकते हैं।
भ्रामक जानकारी देने पर भी शिकायत
छात्र लोकपाल से ऐसे संस्थान की शिकायत भी कर सकेंगे जो ऐसी सूचना का प्रकाशन करेंगे जो झूठी या भ्रामक है। इसी तरह किसी छात्र द्वारा दाखिला लेते समय डिग्री, डिप्लोमा आदि प्रमाणपत्रों को उच्च शैक्षिक संस्थान में जमा कर दिए जाने पर और इनके द्वारा नहीं लौटाने पर भी लोकपाल से शिकायत की जा सकेगी। गौरतलब है कि कई बार कॉलेज छात्रों के दस्तावेज रख लेते हैं और उनसे पूरे कोर्स का शुल्क जमा करने के लिए कहते हैं। इसकी भी शिकायत हो सकेगी।
आरक्षण नियमों के उल्लंघन में भी
अगर कोई संस्थान आरक्षण नियमों में उल्लंघन करता है। अनुसूचित जाति, जनजाति, महिलाओं, विकलांग श्रेणी के छात्रों से भेदभाव किया जाता है तो इसकी भी शिकायत सीधे लोकपाल से की जाएगी। लोकपाल मामले की स्वयं जांच करेंगे। अब तक उक्त श्रेणी से संबंधित छात्रों और महिलाओं को आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ता था। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बीआर नायडू ने सभी कुलपतियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
इन मामलों में भी लोकपाल करेगा जांच
– दाखिला आरक्षण में बनी नीति का उल्लंघन।
– अकादमिक निर्देश के विस्र्द्ध परीक्षाओं का संचालन या घोषणा में विलंब करना।
– छात्रों की सुविधाओं का प्रावधान जिसे संस्थान ने अनिवार्य रूप से उपलब्ध करवाने का वचन दिया है।
– गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध नहीं करवाना। जिस तरह से दाखिले के समय वादा किया गया था।
– गैर पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली।
– यौन उत्पीड़न सहित छात्रों का शोषण या प्रताड़ना।
इन्हें बनाया जाएगा लोकपाल
लोकपाल वह व्यक्ति रहेगा जो न्यायाधीश रहा हो। जो जिला न्यायाधीश से निचले पद का न हो अथवा एक अवकाश प्राप्त प्रोफेसर हो, जिसके पास प्रोफेसर के रूप में दस वर्ष का अनुभव हो। लोकपाल अंशकालिक अधिकारी होगा। जिसे तीन वर्ष के लिए या 70 वर्ष की आयु होने तक रखा जाएगा। विवि चाहे तो उसे एक और सत्र के लिए भी नियुक्त कर सकता है। इसी के साथ यात्रा व्यय के लिए प्रति सुनवाई के लिए तीन हजार स्र्पए दिए जाएंगे। लोकपाल रखने के लिए समिति बनाई जाएगी।