जंगल में गहराया जल संकट परेशान रहवासी, इलाके में आ रहे हैं जंगली जानवर
जंगल में गहराया जल संकट जानवर परेशान रहवासी, इलाके में आ रहे हैं जंगली जानवर
रायसेन- जंगल जंगल में जल स्रोत सूखने के कारण वन प्राणियों जान आपात में आ गई है पानी की तलाश में भटकते जंगली जानवर अब आसपास के गांव में आने लगे हैं । पानी के अभाव में गांव की और कूच कर रहे हैं वन्यजीवों के लिए जंगल में ही पानी की व्यवस्था करने की पहल करते हुए रायसेन जिले के बेगमगंज रेंजर अरविंद अहिरवार बेजुबान जानवरों के मसीहा बनकर उभरे और बना डाले 12 जल स्रोत्र । जंगली जानवरों के पानी पीने के लिए कुंड बनवाए जा रहे है।इनमे मुख्यतः बीट महुआखेड़ा ‘ब’ में 4 सौसर तथा 4 झिरियों की सफाई वनरक्षक शरद शर्मा द्वारा करवाई गई,बीट सुल्तानगंज में 4 सौसर 3 झिरिया संदीप दुबे द्वारा एवं बीट सगोनी में 4 सौसर और 2 झिरिया प्रताप ग्रेवाल वनरक्षक एवम बीट महुआखेड़ा अ में प्रदीप लोधी द्वारा 3 झिरियों की सफाई धर्मेद्र श्रीवास्तव वनरक्षक द्वारा 6 झिरियों की सफाई श्रमदान द्वारा करवाई गई है अन्य स्टाफ भी लगातार उक्त कार्य मे लगा हुआ है जंगल में जल स्त्रोतों में पानी नहीं बचा है लेकिन आने वाले दिनों में समस्या और बढ़ की आशंका के मद्देनजर पानी की व्यवस्था की जा रही है । वन्यजीवों को पानी की व्यवस्था करने के लिए शासन से समय पर राशि नहीं मिलती है । इस बीच जंगल के भीतर मौजूद पानी के स्त्रोतों सूखने लगे है।वहीं रेंजर अरविंद अहिरवार के द्वारा पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की गई। गत दिनों रेंजर अरविंद अहिरवार जंगल में गस्त कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि प्यास के कारण एक हिरण मिट्टी को चाट रहा था । वन अधिकारी को समझते देर नहीं लगी की जानवर के शरीर में पानी की कमी हो रही है और पानी नहीं मिलने से हिरण ऐसा कर रहा है जंगल से लौटते ही उन्होंने अपने अधीनस्थ वनकर्मियों की आनंन-फानन में एक मीटिंग बुलाई । जंगल में पानी की व्यवस्था के लिए उन्होंने तुरंत आदेश जारी करते हुए व्यवस्था करने की तैयारियां शुरू कर दी और खुद मौके पर खड़े होकर एक दर्जन पानी के गड्ढे बनवाए ताकि कोई भी जंगली जानवर पानी की तलाश में गांव की तरफ ना आ पाए उसे अपनी जगह पर जंगल में पानी मिल सके,भारतीय संविधान हर नागरिक को जीने का अधिकार देता है यह बात आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन भारत के संविधान ने जानवरों को भी जीवन जीने की आजादी दी है। अगर इनके जीवन को बाधित करने का कोई प्रयास करता है तो इसके लिए संविधान में कई तरह के दंड़ के प्रावधान हैं। इतना ही नहीं इनमें से 10 जानवरों ऐसे भी हैं जिनको मारने पर आपको जेल भी हो सकती है। 43 डिग्री सेल्सियस तापमान और तपती धूप के बीच इन बेजुबानों के लिए वन विभाग की ओर से जंगल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जंगल में पोखर सूख चुके हैं। ऐसे में जंगली जानवर पानी की तलाश में जंगल से बाहर आ रहे हैं।वन विभाग की ओर से अभी तक वन्य जीव जंतुओं के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिसकी वजह से जानवर गर्मी के मौसम में व्याकुल भटक रहे हैं। जंगल में पानी न मिलने पर जानवर गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। जंगल से जानवरों के बाहर निकलने पर शिकारियों की निगाहें भी उनकी ओर टिक गईं हैं। भीषण गर्मी में जंगलों के जलस्रोत सूख जाने के कारण प्यासे जानवर शहर और गांवों की ओर आ रहे हैं। हिरण , चीतल,भेड़की , नील गाय , तेंदुए और अन्य जंगली जानवर आबादी में दस्तक दे रहे हैं। जंगली जनवरों को पानी की व्यवस्था की गई ।