पुलिस की निगरानी से भागा घुसपैठिया अलमक्की का पांचवें दिन भी कोई सुराग नहीं

ग्वालियर। पुलिस की निगरानी से भागा घुसपैठिया अलमक्की का पांचवें दिन भी कोई सुराग नहीं लगा है। पुलिस अधिकारी भी अब दबी जुबान से स्वीकार करने लगे हैं कि अलमक्की अब उनकी एप्रोच से निकलने में सफल हो गया है। दूसरी तरफ अलमक्की के भागने के बाद की जा रही विभागीय जांच में कई ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं कि पुलिस अधिकारी स्तब्ध हैं। पड़ाव थाने का स्टाफ अपनी नौकरी दांव पर लगाकर उसकी हदों से परे जाकर मदद क्यों कर रहा था? जांच में पता चला है कि अलमक्की पड़ाव थाने में पदस्थ एक हवलदार के बेटे के नाम की सिम उपयोग कर रहा है। इससे अपने लैपटॉप पर इंटरनेट चला रहा था। अभी तक पुलिस उसके पर्सनल लॉक को तोड़कर लैपटॉप ओपन नहीं कर पाई है। पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि 24 घंटे पुलिस की निगरानी में रहने के बाद भी लग्जरी लाइफ के लिए उसके पास पैसा कहां से आता था?
विदेशी घुसपैठिया अलमक्की मंगलवार की रात सिपाही की निगरानी में नमाज पढ़ने के लिए गया था। सिपाही का दावा है कि नमाज अदा करने के बाद थाने के लिए लौटते समय एलआईसी ऑफिस के पास टॉयलेट के लिए बाइक से वह उतरा और भाग गया। हालांकि सिपाही का यह दावा लोगों के गले नहीं उतर रहा है। क्योंकि उसके सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले हैं। आशंका है कि अलमक्की मस्जिद से ही भागा है। जांच में पुलिस अधिकारियों के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि अलमक्की को थाने से एक दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित महलगांव वाली मस्जिद पर नमाज पढ़ाने के लिए क्यों ले जाया जाता था। जबकि थाने से आधा किलोमीटर की कम दूरी पर ही मोती मस्जिद है।
लग्जरी लाइफ के लिए पैसा कहां से आता था-
तीन साल अलमक्की जेल में रहा और आठ महीने से 24 घंटे पुलिस की निगरानी में रहा। उसने कोई काम धंधा किया नहीं? उसके बाद भी उसके पास सिम रिचार्ज व नेट पैक डालने के लिए पैसा कहां से आता था। इसके अलावा थाने में रहते हुए महंगे परफ्यूम व साबुन उपयोग करता था। साथ ही रेस्टोरेंट से नॉनवेज मंगाता था। इन सबके लिए उसके पास पैसा कहां से आता था। पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि अलमक्की की आर्थिक मदद कौन कर रहा था। कोई तो है जो उसकी आर्थिक मदद कर रहा था।
10-10 घंटे नेट चलाता था-
जांच में पुलिस को पता चला है कि अलमक्की पड़ाव थाने में पदस्थ हवलदार के बेटे के नाम की सिम का उपयोग करता था और बेटे के साथ उसके घर तक भी गया है। हवलदार ने अपने बेटे के नाम की सिम विदेशी घुसपैठिए को क्यों थमा दी। अलमक्की उस सिम से 10-10 घंटे इंटरनेट चलाता था। उसके लैपटॉप से भी कई राज खुल सकते हैं? कई तथ्य सामने आने के बाद जिले के आला पुलिस अधिकारी अब भी जांच में उलझे हुए हैं। आला अधिकारियों ने अब तक किसी के भी खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।




