CRPF जवान बनकर विधवा से लाखों की ठगी
*CRPF का जवान बन कर विधवा महिला से की 8 लाख की ठगी*
सीहोर। सीआरपीएफ का जवान बनकर एक व्यक्ति ने शहीद ओमप्रकाश मर्दानिया की विधवा के साथ साढ़े आठ लाख की ठगी की। युवक ने सीआरपीएफ की यूनीफार्म पहनी थी जिस पर दो स्टार भी लगे थे। साथ ही युवक ने शहीद की विधवा कोमल मर्दानिया को अपना आईडी भी दिखाया था। जिससे शहीद की विधवा को उस पर विश्वास हो गया और उसने उसके कहे अनुसार बैंक से पैसे निकलवाए और उसके हवाले कर दिया।
शहीद ओम प्रकाश मर्दानिया की पत्नी कोमल मर्दानिया सोमवार की शाम करीब 5.30 बजे कोतवाली थाने पहुंची। जहां उन्होंने उनके साथ हुई ठगी की घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि सोमवार की सुबह करीब 11 बजे एक व्यक्ति सीआरपीएफ की यूनिफार्म पहन कर मेरे चाणक्यपुरी स्थित घर आया था। जिसने अपना नाम मिश्रीलाल मीणा बताया था। उसने अपनी आईडी भी मुझे दिखाई।

मिश्रीलाल का कहना था कि उनके पति के कुछ रुपए और आने है। जिसके सत्यापन के लिए उसे भेजा गया है। ओमप्रकाश मर्दानिया की शहादत के बाद उसे 35 लाख रुपए दिए जाने थे। जिसमें से साढे आठ लाख रुपए ही उसे मिले थे। इसलिए मुझे उसकी बात पर तुरंत विश्वास हो गया। उसने कहा कि जो बाकी पैसा आना है वह कि सके खाते में भेजा जाए।
पैसा शहीद की मां या पत्नी के खाते में भेजने है इसकी जांच करने मुझे भेजा गया है। तो मैंने बताया कि पैसा मेरे खाते में ही आना चाहिए। क्योंकि हमारे दो बच्चें है जो रुपए के हकदार हैं। इस पर मिश्री लाल ने कहा कि यदि आपके खाते में रुपए भेजना है तो जो रुपए पहले आपके खाते में डाले गए थे। वे निकाल लें, यदि खाते में रुपए रहे तो आपके खाते में रुपए नहीं डाले जाएंगे।
इस पर मैं और मिश्री लाल मेनी बहन के पति देवेंद्र सिंह की प्लेटिना गाड़ी लेकर इछावर गए। जहां से रुपए मैंने अपने सीहोर के एसबीआई बैंक के एकाउंट में ट्रांसफर में किए। जहां से हमने रुपए निकलवाए। रुपए निकलवाने के बाद मिश्रीलाल ने मुझसे कहा कि अपन वेरिफिकेशन के लिए शपथ पत्र बनवा लेते हैं। हम शपथ पत्र बनवाने के लिए तहसील गए। जहां हमने शपथ पत्र बनवाया।
इसी बीच मिश्री लाल ने कहा कि मेरा फोन बंद हो गया है, मुझे आपका फोन चाहिए। मैंने उसे फोन दिया। उसने मेरे फोन से किसी को फोन भी किया। इसके बाद उसने कहा कि मैं कुछ दस्तावेजों की फ़ोटो कॉपी करवा लेता हूं। आप शपथ पत्र तैयार करवाओ। यह कह कर वह रुपए का बैग, मेरा मोबाइल और मेरी बहन के पति देवेंद्र की गाड़ी लेकर चला गया। मैंने कुछ देर तक इंतजार कि या, पर वह नहीं लौटा।
जब ज्यादा देर हो गई तो मैं उसे ढूंढने बाहर आई, लेकिन वह नहीं मिला। इसके बाद मैंने उसे बैंक जा कर देखा तो वह कहीं नहीं मिला। इसके बाद मैंने अपनी बहन के पति देवेंद्र को बुलाया। हम दोनों ने भी मिश्रीलाल को ढूंढा, पर वह नहीं मिला। इसके बाद हम कोतवाली आए हैं।




