मध्यप्रदेशराष्ट्रीय

बोल और सुन नहीं सकता ये टॉपर, सीएम शिवराज भी हुए फैन

स्‍टडी डेस्‍क। कहते हैं कि बुलंद हौसलों के आगे बड़ी से बड़ी मुश्किल भी हार जाती है. ग्वालियर के सार्थक चितले की जिंदगी भी इसी की मिसाल है. जन्म से ही बोलने और सुनने में असमर्थ सार्थक का अपनी पढ़ाई के प्रति जुनून इस कदर था कि उन्होंने तमाम परेशानियों के बावजूद दसवीं बोर्ड की बधिर श्रेणी में पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है.

सार्थक ने मूक-बधिर दिव्यांग श्रेणी में पूरे प्रदेश में दूसरी रैंक पाई है. उसे 500 अंक में से 436 अंक मिले हैं. गोरखी परिसर स्थित बालक सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के 10वीं के छात्र सार्थक के माता-पिता निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. दोनों ही किसी तरह प्राइवेट जॉब करके अपनी गृहस्थी चला रहे हैं. सार्थक की इस कामयाबी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित सभी का दिल जीत लिया. भोपाल में हुए एक विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सार्थक को सम्मानित किया.

हनुमान चौराहे के पास रहने वाले सार्थक के बारे में माता-पिता को डेढ़ साल बाद पता लगा कि उनका बेटा बोलने और सुनने में असमर्थ है तो एक बार तो वह लोग घबरा गए. बाद में उन्होंने हिम्मत हारने के बजाए अपने बच्चे के कंधे से कंधा मिलाकर उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देने लगे.

सार्थक ने सरस्वती स्कूल में मिडिल तक की पढ़ाई कि तो उसे स्कूल में बोलने और सुनने में समस्या आती थी. लेकिन स्कूल के स्टाफ में उसकी पढ़ाई के प्रति लगन को देखते हुए उसके लिए विषय को समझाने की अलग से प्रैक्टिस शुरू की. यही कारण था कि सार्थक धीरे-धीरे पढ़ाई के प्रति और ज्यादा गंभीर हो गया.


सार्थक की मां एक निजी गैस एजेंसी में कर्मचारी है. शाम को नौकरी से आकर वह सार्थक को होमवर्क कराती थी. परिवार और गुरुजनों के मार्गदर्शन में सार्थक पढ़ाई में अव्वल आता रहा और इस बार दसवीं बोर्ड में उसने टॉप टेन में अपना स्थान बनाया.

Show More

Related Articles

Back to top button