अकेले फ़ाइटर प्लेन उड़ाने वाली पहली महिला बनीं अवनी चतुर्वेदी

रीवा। राजस्थान के वनस्थली में बीटेक करने के दौरान ही अवनी ने एयरफोर्स का फार्म भरा था. वहीं उसका चयन आईबीएम में भी हो गया था. लेकिन कुछ दिन सर्विस करने के बाद वहां से काम छोड़कर एयरफोर्स ज्वाइन कर ली.

mandihalchal

Photo- Indian Air Force

इंडियन एयरफोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर और मध्य प्रदेश के रीवा की बेटी अवनी चतुर्वेदी ने इतिहास रच दिया है. अवनी चतुर्वेदी अकेले लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं. उन्होंने जामनगर वायुसेना स्टेशन से मिग- 21 बाइसन को अकेले उड़ाया.

लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए तीन महिला पायलटों अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहना सिंह को कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है. उन्हें जुलाई 2016 में फ्लाइंग ऑफिसर के तौर पर शामिल किया गया था.

बचपन में पंछी की तरह उड़ना चाहती थी अवनी
मध्य प्रदेश के रीवा शहर की अवनी चतुर्वेदी को देश की पहली तीन महिला फाइटर पायलट में शामिल होने का गौरव भी हासिल हुआ था. अवनी चतुर्वेदी के अलावा बिहार के बेगूसराय की भावना कांत और गुजरात के वडोदरा की मोहना सिंह, वर्ष 2016 में देश की पहली महिला फाइटर पायलट बन गई थीं.

अवनी मूल रूप से मध्यप्रदेश के रीवा की रहने वाली हैं. उसके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं. इस जांबाज के भाई भी आर्मी में कैप्टन हैं. वहीं, चाचा सहित परिवार के कई सदस्य आर्मी के जरिए देशसेवा में जुटे हैं. इंडियन एयरफोर्स में शामिल होने के बाद अवनी ने बताया था कि इस वजह से उसने आर्मी की लाइफ को करीब से देखा है और उसे यह लाइफ पसंद है. अवनी ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा था,

हर कोई बचपन में आसमां की तरफ देखता है और चाहता है कि पंछी कि तरह उड़े. अब एयरफोर्स में उन्हें मिलिट्री लाइफ के साथ उड़ने का मौका भी मिल रहा हैं.

चुपचाप किया था एयरफोर्स में आवेदन
अवनी की मां सविता ने एयरफोर्स में बेटी के चयन के बाद न्यूज18 से खास बातचीत में कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि अवनी ने एयरफोर्स के लिए आवेदन दिया हैं. उसका चयन होने पर ही परिजनों को इस बारे में जानकारी मिली थीं.

बेटी की इस कामयाबी के पीछे मां अपने बेटे और अवनी के भाई को प्रेरणा बताती है. अवनी की तरह उनके भाई ने भी आर्मी के जरिए खुद को देशसेवा के लिए समर्पित कर दिया है.

अवनी ने कल्पना चावला को अपनी प्रेरणा स्त्रोत मानते हुए अपने जीवन को आगे बढ़ाया. पिता बताते हैं कि उनकी बेटी बचपन से ही मेधावी थी और वह अच्छी पुस्तकें पढ़ती रहती थीं.

राजस्थान के वनस्थली में बीटेक करने के दौरान ही अवनी ने एयरफोर्स का फार्म भरा था. वहीं उसका चयन आईबीएम में भी हो गया था. लेकिन कुछ दिन सर्विस करने के बाद वहां से काम छोड़कर एयरफोर्स ज्वाइन कर लिया.