पॉक्सो और एट्रोसिटी एक्ट में तीन आरोपितों को 4-4 साल की सजा

ग्वालियर। विशेष सत्र न्यायाधीश रविन्दर सिंह ने पॉक्सो एक्ट व एट्रोसिटी एक्ट के तहत तीन आरोपितों को 4-4 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट में सभी गवाह अपनी गवाही से पलट गए थे, लेकिन पीड़िता ने मुख परीक्षण के दौरान पूरी घटना बता दी थी और प्रति परीक्षण में आंशिक रूप से घटना स्वीकार की थी। इसी आधार पर कोर्ट ने तीनों आरोपितों को सजा सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक अभय पाटिल ने बताया कि 26 मई 2014 को एक नाबालिग ने छेड़खानी की शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें बताया गया था कि नाका चंद्रवदनी पर आरोपी संजू पाल, लल्ला तोमर व पप्पू जाटव ने नाबालिग से छेड़छाड़ की है। वह अनुसूचित जाति वर्ग से भी है।
झांसी रोड पुलिस ने तीनों आरोपितों के खिलाफ पॉक्सो व एट्रोसिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया। इसके बाद विशेष न्यायालय में चालान पेश किया गया। ट्रायल के दौरान अभियोजन ने गवाह पेश किए। लेकिन पीड़िता के परिजन अपनी गवाही से पलट गए। उसके बाद पीड़िता को गवाही के लिए कोर्ट में उपस्थित कराया गया।
कोर्ट में घटना के संबंध में अभियोजन की कहानी का मुख परीक्षण कराया गया। प्रति परीक्षण की बात आई तो पीड़िता ने पूरी बात नहीं कही और समय ले लिया। जब दोबारा नाबालिग को बुलाया गया तो पीड़िता अपनी गवाही से पलट गई। जबकि पूर्व में हुए मुख परीक्षण में घटना का विवरण बताया गया था। लेकिन दोबारा वह घटना को स्वीकार नहीं रही थी। लेकिन कोर्ट ने संजू पाल, लल्ला तोमर व पप्पू जाटव को दोषी करार दिया।
आरोपितों ने अपने बचाव में कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया है, उनका पूर्व में भी कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। इसलिए कम से कम सजा दी जाए। विशेष लोक अभियोजक अभय पाटिल ने तर्क दिया कि कड़ा कानून होने के बाद भी आरोपितों में भय नहीं है। इसलिए आरोपितों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने तीनों आरोपितों को 4-4 साल की सजा सुनाई।



