88वां आम बजट आज होगा पेश, किसानों-बेरोजगारों को राहत की आस
नई दिल्ली: देश के 25वें वित्त मंत्री अरुण जेतली 1 फरवरी को देश का 88वां बजट पेश करेंगे। आजादी के बाद से अब तक कुल 87 आम और अंतरिम बजट पेश किए जा चुके हैं। इस बजट में वित्त मंत्री किसानों व बेरोजगारों के लिए सौगात दे सकते हैं।
इसके साथ ही सरकार के कृषि क्षेत्र और छोटे उद्यमों पर विशेष ध्यान देने की संभावना है क्योंकि वर्ष 2022 तक सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर काम कर रही है। इसके लिए सरकार कृषि क्षेत्र के लिए कुछ बड़ी घोषणा कर सकती है। आपूर्ति से जुड़ी बाधाएं दूर की जा सकती हैं।
आयकर स्लैब में बदलाव पर हैं सबकी निगाहें
इस बार लोगों का ध्यान ‘क्या सस्ता, क्या महंगा’ से हटकर आयकर स्लैब में बदलाव पर रहेगा और वेतनभोगियों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री इस बार उन पर मेहरबान हो सकते हैं।
मनरेगा को अधिक धन मिलने की उम्मीद
मनरेगा जैसे कार्यक्रमों के लिए अधिक राशि आबंटित की जा सकती है। कृषि बीमा और सिंचाई कार्यों तथा सामाजिक सुरक्षा उपायों के लिए अधिक राशि दी जा सकती है। इसके साथ ही छोटे एवं मध्यम उद्यम पर सरकार अधिक ध्यान दे रही है क्योंकि ये सर्वाधिक रोजगार सृजित करने वाले क्षेत्र हैं।
वित्तीय घाटे के लक्ष्य को बढ़ा सकती है सरकार
नोटबंदी और जी.एस.टी. के कारण अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती और वित्तीय सुदृढ़ीकरण पर विराम लगाने के अार्थिक सर्वेक्षण के सुझाव के मद्देनजर यह उम्मीद है कि सरकार वर्ष 2018-19 के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को बढ़ा सकती है क्योंकि आम चुनाव से पहले लोक कल्याणकारी कार्यों पर व्यय बढ़ाया जा सकता है।
इन सैक्टरों पर भी ध्यान देने की है जरूरत
इस बार के बजट में जिन बातों पर ध्यान दिए जाने की संभावना है उनमें ग्रामीण विकास, कृषि ऋण, कार्पोरेट कर, न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट), रेलवे, राजमार्ग और सरकारी कंपनियों में विनिवेश आदि शामिल हैं।
10 बार बजट पेश करने वाले मोरारजी देसाई एकमात्र वित्त मंत्री
देश में सबसे अधिक बजट पेश करने का श्रेय मोरारजी देसाई को है। उन्होंने कुल 10 बजट पेश किए हैं। इसके बाद पी. चिदम्बरम को 9 और प्रणव मुखर्जी को 8 बजट पेश करने का श्रेय प्राप्त है।
171.85 करोड़ रुपए का था पहला बजट
देश के प्रथम वित्त मंत्री आर.के. षण्मुगम चेट्टी ने इसे 26 नवम्बर, 1947 को पेश किया था। यह 15 अगस्त, 1947 से 31 मार्च, 1948 तक के लिए था। यह बजट मात्र 171.85 करोड़ रुपए का था। इसमें राजकोषीय घाटा 24.59 करोड़ रुपए रखने का लक्ष्य रखा गया था।