कॉस्मेटिक उत्पादों में होती है पशु चर्बी ? सरकार के जवाब से हड़कंप
भोपाल। जिस साबुन से आप नहाकर पूजा करने जाते हैं, उसमें पशु चर्बी का इस्तेमाल हो रहा है तो यह जानकर आप परेशान हो जाएंगे। देशभर में जगह-जगह साबुन बनाने की फैक्ट्रियों में छापे के दौरान यह बात सामने आई है कि साबुन और कॉस्मेटिक उत्पादों में पशु चर्बी का इस्तेमाल होता है। ऐसे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक पत्र के जवाब में कहा है कि कॉस्मेटिक उत्पादों में पशु चर्बी के इस्तेमाल पर रोक नहीं है।
ग्वालियर के रहने वाले धर्मवीर सिंह ने साबुन और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों को बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को चिठ्ठी लिखी थी, जिसमें कहा गया था कि कॉस्मेटिक उत्पादों के पैकेट पर यह लिखा जाना अनिवार्य किया जाए कि उत्पाद में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जवाब दिया गया कि ड्रग्स और कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत इन उत्पादों के लिए मानक तैयार किए जाते हैं। हालांकि कॉस्मेटिक उत्पादों के लिए तय मानकों में पशु चर्बी के इस्तेमाल पर रोक नहीं है।
मानक ब्यूरो को कोई जानकारी नहीं
प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली सलाह पर धर्मवीर सिंह ने भारतीय मानक ब्यूरो से यह जानकारी मांगी कि भारत में कितनी कंपनियां साबुन में पशु चर्बी या उससे बनने वाली ग्लीसरीन का उपयोग कर रही है। इस पर भारतीय मानक ब्यूरो का जवाब आश्चर्यजनक रहा। ब्यूरो का कहना है कि इस बारे में उसे कोई भी जानकारी नहीं है।
पैकेट पर लाल या भूरे रंग का निशान जरूरी
वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने यह नोटिफिकेशन जारी किया था कि जिन कॉस्मेटिक उत्पादों में पशुओं के अवशेष का इस्तेमाल हो रहा है, उसके पैकेट में लाल या भूरे रंग की बिंदी का इस्तेमाल किया जाए। हालांकि इसका पालन सही तरीके से नहीं हो रहा है।