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जो बढ़ाता था कभी राजपूती शान आज वही बहा रहा है आँसू।

जो बढ़ाता था कभी राजपूती शान आज वही बहा रहा है आँसू।

नितेश उपाध्याय@म.प्र प्रमुख

श्योपुर।वर्तमान जर्जर स्थिति में स्थित विजयपुर किला जो कभी अपनी राजपूतीे शौर्यता एवम वीरता का प्रतीक रहा वही आज अपनी दशा पर मूकता के साथ स्तब्ध खड़ा है। जो आज वर्तमान में साक्ष्य है अपनी विजय पताका का।

मध्यप्रदेश शिवपुर की सबसे बड़ी तहसील विजयपुर में स्थित विजयपुर किला दिन प्रतिदिन क्षरण की स्थिति पर जा पहुचा है।

राज्य पुरातत्व के अधीन इस किले का संरक्षण महज दिखावा है हकीकत यह है कि यह किला धीरे धीरे ढहने लगा है। सबसे बड़ी बात यह है कि शासन एवम प्रशासन की नाक के नीचे इस किले पर अवैध रूप से कब्जा भी है।

किले की प्राचीर के सटी हुई अग्रवाल धर्मशाला एवम नगर परिषद की दुकानें भी इस किले की जद में है।
एवम किले के भीतर एक विशेष समुदाय भी रह रहा है।

“विजयपुर में नही है अलग से शासकीय बालक उत्कृष्ट विद्यालय की इमारत”

एवम किले के भीतर ही शासकीय बालक उत्कृष्ट विद्यालय भी वर्तमान में चल रहा है।

प्रशासन का यू ही मौन रहना न सिर्फ ऐतिहासिक धरोहरों का क्षरण का कारण है वरण आपराधिक गतिविधियों की बढ़ोतरी की भी वजह बन सकता है।

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