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ट्राई चेयरमैन का व्यक्तिगत निर्णय तो फिर सरकार द्वारा बचाव क्यों

वेब डेस्क। भारतीय दूरसंचार नियामक अधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन आर. एस. शर्मा द्वारा आधार डाटा की सुरक्षा को साबित करने के लिए किये गये खुलासे से, नाहक बदनामी हो रही है. हिन्दी फिल्म ए वेडनेसडे में नसीरुद्दीन शाह की धमकियों से निपटने में जब पूरी पुलिस व्यवस्था विफल हो जाती है तो पुलिस कमिश्नर अनुपम खेर एक युवा हैकर को मदद के लिए बुलाते हैं.

पुलिस कमिश्नर उस लड़के से जब पूछते हैं कि क्या उसे मामले की समझ है? तो वह कहता है कि पुलिस का सिस्टम आउट डेटेड और पुराना हो गया है, फिर भी वह अपराधी को ट्रेस कर लेगा. नये जमाने के एथिकल हैकरों की चुनौती का सामना करने की कुव्वत, क्या व्यक्तिगत तौर पर ट्राई के चेयरमैन के पास है? आधार नंबर को सार्वजनिक करके ट्राई के चेयरमैन ने सिस्टम को नुकसान पहुंचाने के साथ, अनेक कानूनों को भी तोड़ा है.

आधार का डाटा सुरक्षित रहना और सार्वजनिक करने में फर्क है- प्राइवेसी पर बहस के दौरान केन्द्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट की सूचित किया था कि आधार का डाटा दस मीटर ऊंची और चार मीटर चौड़ी दीवारों के डाटा सेंटर में पूरी तरह से सुरक्षित है.

बारह अंकों के आधार डाटा को सार्वजनिक करने से नुकसान होने के साथ कानून का उल्लंघन भी हो सकता है, इसीलिए सरकार ने सोलह अंकों के वर्चुअल आईडी (वीआईडी) की व्यवस्था शुरू की. आधार नम्बर को सार्वजनिक करने के विरुद्ध केन्द्र सरकार ने जब स्वयं ही नियम बनाया है तो फिर ट्राई के चेयरमैन के द्वारा उसे चुनौती देकर कानून का उल्लंघन क्यों किया जा रहा है ?

आधार के माध्यम से संवेदनशील निजी जानकारियां उजागर- सरकार, यूआईडीएआई और ट्राई द्वारा मामले की लीपापोती की कोशिश हो रही है पर सिस्टम को तो बहुत नुकसान हो चुका है. पैन नम्बर, बैंक विवरण, निजी ई-मेल आईडी, वोटर कार्ड विवरण, डी-मैट, डेबिट कार्ड, आर्गेनिक खाद्य सामग्री जैसे विवरण संवेदनशील निजी डाटा के अर्न्तगत आते हैं. ऐसे डाटा की सुरक्षा के लिए आईटी एक्ट के तहत सन् 2011 में नियम बनाये गये, और इनके पालन के लिए श्रीकृष्णा कमेटी ने आधार कानून में बदलाव की सिफारिश की है.

विवाद बढ़ने के बाद ट्राई के चेयरमैन ने कहा कि आधार नम्बर को सार्वजनिक करने का निर्णय उनका व्यक्तिगत मामला है. ट्राई के चेयरमैन ने आधार नम्बर को अपने व्यक्तिगत ट्विटर एकाउंट से सार्वजनिक किया, हालांकि इस एकांउट्स से उन्होंने कई बार ट्राई की भी आधिकारिक घोषणाएं की हैं. सवाल यह है कि ट्राई चेयरमैन के व्यक्तिगत निर्णय को सही ठहराने के लिए यूआईडी और सरकार की तरफ से क्यों स्पष्टीकरण जारी किया जा रहा है?

श्रीकृष्णा कमेटी की रिपोर्ट के बाद ट्राई चीफ द्वारा बेवजह विवाद

सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने प्राइवेसी को मौलिक अधिकार मानते हुए एक साल पहले ऐतिहासिक फैसला दिया था. फैसले के अनुसार कानून बनाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा रिटायर्ड जज श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में दस सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय कानून मंत्री को सौंपी है. ट्राई चेयरमैन द्वारा किये गये खुलासे से आधार और सरकार की विश्वसनीयता को भारी नुकसान हुआ है. निजी जानकारी सार्वजनिक होने से बहुत नुकसान हो सकते हैं.

जनता द्वारा निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं करने के लिए सरकार द्वारा बड़े-बड़े विज्ञापन दिये जाते हैं, पर ट्राई चेयरमैन की शायद अलग ही समझ है. निजी सूचनाओं के समूह के इस्तेमाल से चेयरमैन, ट्राई और सरकार का बड़ा नुकसान किया जा सकता है. ट्राई चेयरमैन के बैंक ऑफ इंडिया खाते में ऐप के माध्यम से एक रुपए का सांकेतिक फण्ड ट्रांसफर किया गया है. आतंकवादियों द्वारा यदि उनके पांच बैंक खातों में बड़ी रकम यदि जमा करा दी जाए तो शर्माजी के खिलाफ अनेक आपराधिक मामले शुरु हो सकते हैं.

निजी ई-मेल आइडी से यदि सरकारी सूचनाओं को हैक कर लिया जाये तो पब्लिक रिकॉर्ड्स एक्ट और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के उल्लघंन का मामला बन सकता है. इन सूचनाओं के आधार पर मनी लांड्रिंग, ब्लैकमेल, बैंक फ्रॉड और वसूली के अपराधों को बढ़ावा मिल सकता है. श्रीकृष्णा कमेटी की रिपोर्ट के बाद जब प्राइवेसी पर गम्भीर बहस हो रही हो, तब आधार के पूर्व चीफ द्वारा बेवजह खुलासे से आधार को ब्लू-व्हेल गेम खेलने के लिए मजबूर करना दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण है.

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