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ग्वालियर जीवाजी विवि में गजब की लापरवाही, मिलना था गोल्ड मैडल, लगा दी नकल की सील

ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय में बड़ी लापरवाही का एक ताजा मामला सामने आया है। यहां गोल्ड मैडल की हकदार एक छात्रा के अंकों के चार्ट में पहले किसी कर्मचारी ने ‘यूएफएम'(अन फेयर मींस,नकल प्रकरण) की सील लगा दी। बाद में उस सील को काट भी दिया।

इस रहस्यमयी कारस्तानी के फेर में गोल्ड मैडल की हकदार एक छात्रा को दीक्षांत समारोह में शामिल ही नहीं किया गया। अब जबकि मामले में छात्रा ने राज्यपाल से शिकायत की है तो पूरे मामले की पड़ताल शुरू हो गई है।

इस पूरे मामले का खुलासा एमसीए छात्रा अर्चना सिंह द्वारा राज्यपाल से की गई एक शिकायत के क्रम में हुआ है। जीवाजी विश्वविद्यालय अध्ययनशाला से शैक्षणिक सत्र 2015-16 में एमसीए की डिग्री हासिल करने वाली छात्रा अर्चना सिंह ने अपनी शिकायत में बताया था कि उसे 3 मार्च 2017 को हुए दीक्षांत समारोह में गोल्ड मैडल नहीं दिया गया। अर्चना से कम अंक पाने वाली एक अन्य छात्रा को गोल्ड मैडल दे दिया गया।

जांच में यूएफएम की सील खुलासा-

मामले में कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला ने तत्काल जांच के निर्देश दिए। कुलपति के निर्देश पर के सांख्यिकी अधिकारी प्रदीप शर्मा,डीआर राजीव मिश्रा, यूएस सालसेकर, गोल्ड मैडल समिति के डॉ.एमके गुप्ता ने पड़ताल की। इसी पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ कि छात्रा के अंकों के चार्ट में यूएफएम की सील लगी हुई थी। बाद में उस सील को काटा भी गया है।

नकल वालों को नहीं चुना जाता-

नियम यह है कि यदि किसी विद्यार्थी का नकल प्रकरण हो तो फिर उसके कितने ही अंक क्यों न हो, उसे गोल्ड मैडल के लिए नहीं चुना जाता। माना जा रहा है कि जब गोल्ड मैडल समिति के सामने ये चार्ट रखे गए होंगे तब समिति सदस्यों ने यूएफएम की सील देखकर छात्रा को नहीं चुना।

बड़ा सवाल, कैसे और किसने लगाई सील-

बड़ा सवाल यह है कि आखिर बिना नकल प्रकरण के किसी ने यूएफएम की मोहर कैसे लगाई। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि चार्ट में संबंधित छात्रा से पूर्व के रोल नंबर या बाद के रोल नंबर वाले विद्यार्थी के नाम से भी नकल प्रकरण नहीं बना था। ऐसे में यह भी नहीं माना जा सकता कि सील धोखे से लगी है।

छात्रा ने भी की लापरवाही-

दीक्षांत समारोह में गोल्ड मैडल दिए जाने से पहले जेयू वेबसाइट पर गोल्ड मैडल की सूची भी जारी करता है। इस सूची को लेकर 15 दिनों में दावे-आपत्ति यह कहकर मांगे जाते हैं कि बाद में कोई दावा स्वीकार नहीं होगा। छात्रा ने यहां लापरवाही करते हुए इस सूची पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में नियमों के तहत छात्रा गोल्डमैडल के लिए दावा करने का हक खो चुकी है।

समिति बनाई-

मामले में एक जांच समिति भी बनाई गई है। इस समिति में प्रो.एके श्रीवास्तव, प्रो.रेणू जैन, परीक्षा नियंत्रक डॉ.राकेश सिंह कुशवाह को रखा गया है। अलवत्ता जांच समिति को अंतिम रूप कल दिया जाएगा। यह भी संभावना है कि मामले में कुलपति समिति के स्थान पर हकीकत देखते हुए खुद निर्णय करें।

छात्रा को आज बुलाया-

जानकारों के अनुसार इस मामले में छात्रा को शनिवार को बुलाया भी गया है। संभावना इस बात की अधिक है कि कुलपति छात्रा को तात्कालिक रूप में मैरिट सर्टिफिकेट दे दें। उसके बाद में जिस विद्यार्थी को पूर्व में दिए गए गोल्ड मैडल दिया गया है,उसे निरस्ती की कार्रवाई की जाए।

जांच रिपोर्ट आते ही तुरंत निर्णय-

मामले में अधिकारियों को पूरा प्रकरण देखने के निर्देश दे दिए हैं। जांच रिपोर्ट आते ही तुरंत निर्णय किया जाएगा।

प्रो.संगीता शुक्ला,कुलपति जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर।

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