Latestराष्ट्रीय

50 करोड़ गरीबों को पांच लाख रुपये सालाना कैशलेस इलाज

नई दिल्ली। देश के 50 करोड़ गरीबों को पांच लाख रुपये सालाना कैशलेस इलाज उपलब्ध कराने के मिशन पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मुहर लगने के बाद इसके इसी साल लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही पहले चालू राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को अगले तीन सालों के लिए बढ़ा दिया है।

दरअसल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट में आयुष्मान भारत के तहत दो योजनाओं की घोषणा की थी। इसके तहत पूरे देश में 1.5 करोड़ आरोग्य केंद्र खोले जाने हैं, ताकि लोगों को उनके घर के नजदीक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके। लेकिन इसके तहत सबसे महत्वाकांक्षी योजना देश के 10 करोड़ परिवारों को हर साल पांच लाख रुपये तक का मुफ्त और कैशलेस इलाज उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे गरीब परिवारों को भी मंहगे अस्पतालों में इलाज का रास्ता साफ हो सकेगा।

नीति आयोग के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, हर साल लगभग 5-6 करोड़ लोग गंभीर बीमारियों के इलाज के कारण गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। यह मिशन उन परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है।

पहले ही शुरू हो गई थी पारित करने की तैयारी-

कैबिनेट की मुहर भले ही बुधवार को लगी है, लेकिन सरकार ने इस मिशन की तैयारियां बजट की घोषणा के साथ ही शुरू कर दी है। इसके तहत विभिन्न बीमारियों, उनके टेस्ट, दवाइयों पर खर्च और डाक्टरों व अस्पतालों की फीस के आधार पर 1300 पैकेज का खाका तैयार किया जा चुका है। इसके साथ ही बीमा कंपनियों को इस पैकेज के आधार पर अपना प्रस्ताव तैयार कर सरकार के सामने रखने को भी कह दिया गया है।

यही नहीं, इस योजना को लागू करने के लिए राज्य सरकारों से भी बातचीत पूरी हो चुकी है और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने इसके लिए सहमति भी दे दी है। सरकार की कोशिश इसी साल 15 अगस्त से इस योजना को लागू करने की है। यदि कोई दिक्कत भी हुई तो दो अक्टूबर तक इसे जरूर लागू कर दिया जाएगा।

सालाना 5 लाख रुपए का हो सकेगा कैशलेस इलाज-

सरकार का अनुमान है कि पांच लाख रूपये का कैशलेस इलाज के लिए प्रति परिवार 1000-1200 रुपये का सालाना खर्च आएगा। लेकिन प्रीमियम की असली लागत का पता स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के प्रस्ताव आने के बाद ही लग पाएगा।

देश की लगभग 40 फीसद आबादी को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाली इस योजना में केंद्र सरकार 60 फीसद का अंशदान करेगी, जबकि पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों में केंद्र का योगदान 90 फीसद होगा। केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना का पूरा भार केंद्र सरकार वहन करेगी। वैसे राज्यों को इस योजना को लागू करने में ट्रस्ट या बीमा कंपनी का रास्ता अपनाने की छूट दी गई है। लेकिन राज्यों ने अभी तक बीमा कंपनियों के मार्फत इसे लागू करने में रुचि अधिक दिखाई है।

Show More

Related Articles

Back to top button