E-Rickshaw: जो सरकार न कर सकी, वो बनी जनता की पसंद

ग्वालियर। स्मार्ट सिटी में शामिल ग्वालियर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए शहर में चलने वाले डीजल वाहनों को ई-रिक्शा में बदलने की कार्य योजना बनाई गई थी। तत्कालीन सीईओ स्मार्ट सिटी ने इस मामले में ट्रिपल आईटीएम के इंजीनियरों के साथ डीजल से चलने वाले टेंपो संचालकों की बैठक भी करवाई। इतना सब होने के बाद भी सरकार तो डीजल वाहनों को बाहर नहीं कर सकी। लेकिन लोगों की पसंद अब इस योजना को मूर्त रूप दे रही है।


लोगों की पसंद के चलते कुछ माह में ई-रिक्शा में भारी इजाफा हुआ है। अब शहर में ई रिक्शा, लोडिंग व यात्री वाहनों की जगह तेजी से ले रहे हैं। लोग भी बिना आवाज और धुआं के चलने वाले इन वाहनों में बैठने पसंद कर रहे हैं।

प्रदूषण से बचाव

परिवाहन विभाग से ई रिक्शा चार सीटर में पास हैं। यह तेज आवाज व धुंआ से राहत दिलाता है वहीं दूसरी ओर टेंपो से फैलने वाले वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी आती है। सबसे अधिक परेशानी दमा से पीड़ित मरीजों को होती है।

मुख्यमंत्री रोजगार कल्याण योजना

2014 में शुरू हुई मुख्यमंत्री रोजगार कल्याण योजना के तहत बेरोजगार,श्रमिक,गरीबी रेखा से नीचे वालों को 50 हजार से 10 लाख तक का लोन बिना गारंटी उपलब्ध होता है। नगर निगम द्वारा इस योजना के तहत करीब 400 लोगों को ई रिक्शा दिलाकर रोजगार उपलब्ध करवाया गया। इस योजना के तहत 20 प्रतिशत की छूट भी मिलती है।

फाइनेंस से लेकर रजिस्ट्रेशन की सुविधा

शहर में ई-रिक्शा बेचने वाले करीब 20 से अधिक डीलर मौजूद हैं। जो अलग-अलग कंपनियों के रिक्शा बेच रहे हैं। वहीं कुछ लोगों ने इसके निर्माण का काम भी शहर में शुरू कर दिया है। डीलर बैंक फाइनेंस से लेकर आरटीओ में रजिस्ट्रेशन करवाकर देते हैं।

टेंपो से फैलता प्रदूषण

ऑटो टेंपो की तेज आवाज व धुआं से प्रदूषण फैलता है। शहर में 734 टेंपो, 55सौ ऑटो करीब हजार मैजिक वाहन चल रहे हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तय एचएसयू (होर्टेज स्मोक यूनिट) वाहनों से निकलने वाले धुएं का मानक 65 किया है। पर वाहनों की जब जांच तो उनसे निकलने वाले धुआं का मानक 100 तक मिला। जो पर्यावरण के लिए घातक है। वहीं ई-रिक्शा इन सब से राहत दिलाता है।

शहर में नहीं बने चार्जिंग प्वाईंट

स्मार्ट सिटी के कंसेप्ट में बैट्री से चलने वाले वाहनों के लिए शहर में जगह जगह चार्जिंग प्वाइंट बनाए जाने थे।जहां पर रिक्शा चालक एक निर्धारित शुल्क देकर बैट्री चार्ज कर सकता। पर नगर निगम ने ई-रिक्शा फाइनेंस में जितनी तत्परता दिखाई उतनी तत्परता चार्जिंग प्वाइंच बनाने में नहीं ।चार्जिंग प्वांइट नहीं होने से बीच रास्ते में बैट्री डिस्चार्ज होने पर परेशानी का सामना करना पड़ता है।

फैक्ट फाइल-

ई-रिक्शा की कीमत 1लाख 55 हजार से 1लाख 85 हजार तक है।

महिला के नाम खरीद करने पर 20 प्रतिशत की छूट है।

इस कीमत में बैंक फाइनेंस के 14 हजार व रजिस्ट्रेशन और बीमा के 20 हजार रुपए शामिल हैं।

ई-रिक्शा 300 किलो वजन ढोने में कारगार है।

एक बार बैट्री चार्ज होने पर 80 से 100 किलोमीटर का सफर तय करती है।

बैट्री चार्ज में 3 से 4 यूनिट बिजली की खपत होती।

यह पूरी तरह ध्वनि व वायु प्रदूषण मुक्त है।

शहर में कुल 1158 ई रिक्शा रजिस्टर्ड हैं।

खामियां-

चढ़ाई वाले स्थान पर सफल नहीं है।

खराब सड़क, गड्ढे में ई रिक्शा में टूट फूट व रफ्तार में पलटने का डर।

इंजन रहित होने से ब्रेक के सहारे ही कन्ट्रोल करना।

इनका कहना है

डीजल वाहन से ध्वनि व वायु प्रदूषण फैलता है,जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। इनका मानक 65 तय किया गया है। जबकि जांच में 100 तक आया है। ई रिक्शा प्रदूषण से मुक्ति दिलाता है।

-एनपी सिंह, क्षेत्रिय अधिकारी, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड