धर्म डेस्क। कल 10 दिसंबर, रविवार को पौष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस दिन हनुमान अष्टमी को विजय उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। हनुमान जी ब्रह्मचारी थे, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वो एक पुत्र के पिता बने थे हालांकि यह पुत्र वीर्य कि जगह पसीने की बूंद से हुआ था। जब हनुमान जी सीता की खोज में लंका पहुंचे थे। तब उनको मेघनाद ने पकड़ लिया और अपने साथ बंदी बना रावण के दरबार में प्रस्तुत किया। रावण ने दंड के रूप में हनुमान जी की पूंछ में आग लगवा दी। हनुमान ने जलती हुई पूंछ से लंका जला दी। जलती हुई पूंछ के कारण से हनुमान जी को तीव्र वेदना हो रही थी। जिसे शांत करने के लिए वे समुद्र के जल से अपनी पूंछ की अग्नि को शांत करने पहुंचे। उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक मछली ने पी लिया था। उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई और उससे उसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। जिसका नाम पड़ा मकरध्वज।
हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज भी उनके समान ही महान पराक्रमी और तेजस्वी थे। उन्हें अहिरावण द्वारा पाताल लोक का द्वार पाल नियुक्त किया गया था। जब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था।
तब श्रीराम और लक्ष्मण जी को मुक्त कराने के लिए हनुमान पाताल लोक पहुंचे और वहां उनकी भेंट मकरध्वज से हुई। तत्पश्चात मकरध्वज जी ने अपनी उत्पत्ति की कथा हनुमान को सुनाईं। हनुमान जी ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और मकरध्वज को पाताल लोक का अाधिपति नियुक्त करते हुए उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
श्रीराम ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को आशीष दिया था की इस दिन जो भी भक्त उनका पूजन करेगा, उसके जीवन से हर संकट का अंत हो जाएगा। कहते हैं इस दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने वाले भक्तों को सभी सुख मिलते हैं और धन की प्राप्ति होती है। ऐसे लोगों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती और उनकी किस्मत का सितारा चमक जाता है।